बुधवार, 21 जुलाई 2021

नीति के दोहे (मुक्तक)

 कवि : अशर्फी लाल मिश्र


राजनीति की कोठरी , कालिख से भरपूर।

बिरला ही कोई मिले, हो कालिख से दूर।।



©Poet: Ashrafi Lal Mishra,Akbarpur,Kanpur

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

विप्र सुदामा - 56

  लेखक : अशर्फी लाल मिश्र अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) भामा मुख  से जब  सूना, दर्शन  करना हो वीतरागी। या तीर्थयात्रा पर हो ...