गुरुवार, 17 सितंबर 2020

पहले ठुमुक करौ नर्तन ( भजन )

 © Poet : Asharfi Lal Mishra, Akbarpur, Kanpur Dehat.

Asharfi Lal Mishra

 जब  तक  अधरन  पर  वंशी,
कान्हा  करहि न कोई  बात। 
कैसे  होय विलग अधरन से,
कैसे     हो  कान्हा  से  बात।।

व्याकुल   हो  गई  गोपी जब,
अवसर   पाइ   छिपाई  वंशी। 
कान्हा      दौड़े     दौड़े    ढूँढ़ै,
कहाँ     गई    है   मेरी  वंशी।।


हर   गोपी   से   पूँछ   रहे   हैं ,
कहुँ      देखी     है  मेरी  वंशी।
हंस    बोली   वृषभानु  कुमारी,
' लाल ' तुम्हारी क्या यह वंशी।।

मचल   गये   हैं   कान्हा  तब,
 दे    दे    मेरी    प्यारी   वंशी। 
पहले    ठुमुक    करौ    नर्तन ,
तब        दैहौं     तेरी     वंशी।।
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