रविवार, 13 सितंबर 2020

नीति के दोहे (मुक्तक)

© कवि : अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर ,कानपुर 

अशर्फी लाल मिश्र 
जनतंत्री   नौकरशाह , दलगत  देखा जाय। 
 सत्ता हो प्रतिकूल यदि , काम टालता जाय।।

हर नौकरशाह  पकड़े ,एक    खम्भा     मजबूत।              
कौन  विधी  शासन चले, कौन  कील   ताबूत।।              






कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

नीति के दोहे मुक्तक

  रचनाकार एवं लेखक : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर अशर्फी लाल मिश्र (1943----) कुछ हों दरिद्री धन से, कुछ वाणी से जान। दोनों होंय एक साथ...