शुक्रवार, 11 सितंबर 2020

पीछे पीछे वृषभानु लली (भजन )

© कवि ; अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर ,कानपुर 

अशर्फी लाल मिश्र 

खेलत खेलत  एक   दिवस ,
कान्हा पहुँचे वृषभानु गली। 
देख   दुवारे  वृषभानु    खड़े ,
कान्हा  पूँछै वृषभानु  लली।। 

कान्हा   द्वार  पुकार  रहे ,
बहार  आओ    मेरी  लली। 
बाहर आई वृषभानु दुलारी  ,
खेलन चलिहौ  मेरी गली।। 

ताहि समय अधराधर धरि वंशी ,
गूँज     गई     वृषभानु    गली। 
आगे   आगे   कान्हा   चलि  रहे ,
पीछे    पीछे   वृषभानु     लली।। 




2 टिप्‍पणियां:

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