लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।
अशर्फी लाल मिश्र |
प्रख्यात शाला उज्जयिनी,
संदीपन ऋषि आश्रम।
कृष्ण सुदामा थे सहपाठी,
जँह शिक्षा पाई सश्रम।।
अति निर्धन शिष्य सुदामा,
पढ़ने में अति मेधावी थे।
आश्रम के सब शिष्यों में,
गुरु प्रिय शिष्य सुदामा थे।।
कृष्ण राज घराने से थे,
सेवा भाव में आगे थे।
आश्रम के सब शिष्यों में,
गुरु माता को अति प्यारे थे।।
भिक्षाटन को जाना हो,
कृष्ण सुदामा साथ साथ।
समिधा लेने जाना हो,
कानन जाते साथ साथ।।
सुदामा रहते थे गंभीर,
कृष्ण स्वभाव से चंचल।
फिर भी मित्रता दोनों में,
सदा रही अटल अविरल।।
लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©
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