रविवार, 13 अगस्त 2023

विप्र सुदामा - 12

 लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र 







कदम निकल  रहे  तेजी से,

मन में लागी कान्हा मिलन।

दायें   बायें  थे  भव्य भवन,

सुदामा चकित  आपन मन।।


रास्ता  पूँछत जाहि सुदामा,

कितनी  दूर   है  राजमहल।

सम्मुख देखी  एक  पट्टिका,

मार्ग    जाता     राजमहल।।


अब धीरे  धीरे चले  सुदामा,

पहुँच गये  थे महल के द्वार।

कहो  भिखारी  अपनी बात,

कैसे  आये  महल  के  द्वार।।


क्या किसी ने तुम्हें सताया?

दूत भेज  उसको  बुलवाऊँ।

राजा  सम्मुख  प्रस्तुत  कर,

दण्ड  उचित उसे  दिलवाऊँ।।


भोजन  वस्त्र  या धन चाहो,

उसे   दिलाऊँ  शीघ्र   अभी।

या  लाये  हो   कोई  सन्देश,

सुनाऊँ जाकर  शीघ्र   अभी।।

लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।© 

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