-- अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।
अशर्फी लाल मिश्र (1943------) |
पिता जिसका रत्नाकर, बहन लक्ष्मी होय।
ऐसा शंख होय भिक्षुक, भीख न देता कोय।।1।।
सौ सुत से उत्तम एक , जो होवे वागीश।
जिमि इक चंदा तिमिर हर, कहलाये रजनीश।।2।।
प्रसंगानुसार भाषण,शक्ति अनुसार क्रोध।
प्रकृति के अनुकूल प्रिय, बुद्धिमान कह शोध।।3 ।।
-- लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर ।
बहुत ही सुन्दर दोहे
जवाब देंहटाएंआभार आपका अभिलाषा जी!
हटाएंसुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंआभार आपका ओंकार जी!
हटाएंबहुत अच्छे नीतिपरक दोहे हैं
जवाब देंहटाएंकविता जी! आप का बहुत बहुत शुक्रिया।
हटाएंप्रेरक गुरुवर
जवाब देंहटाएं,'अडिग ' जी आप का आभार ।
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