--अशर्फी लाल मिश्र
अशर्फी लाल मिश्र |
है लगा अभी वैशाख,
दिनकर उगल रहा है आग।
पशु पक्षी सब ढूढ़े छाया,
सभी लगाये भागम भाग।।
पश्चिम मारुत ऐसे बहता,
मानो मारुत मारै चाटा।
कोई गश खाकर भूमि पड़ा,
कोई छोड़े जीवन नाता।।
-- लेखक एवं रचनाकार: अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर.
'मयंक ' जी आप का आभार.
जवाब देंहटाएंग्रीष्म ऋतु का सटीक चित्रण
जवाब देंहटाएंAnita जी आप का बहुत बहुत आभार.
जवाब देंहटाएंसत्य कहती रचना
जवाब देंहटाएंअनुपमा जी आप का आभार.
हटाएंबहुत सुंदर रचना, गर्मी की सटीक आकलन
जवाब देंहटाएंभारती जी आप का आभार
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