सोमवार, 25 अप्रैल 2022

चरित्र दर्शन

-अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र 






चरित्र     देखना   है,

नशे     में      देखिये.

धन   का   नशा   हो,

तब    चरित्र   देखिये.

ओहदे का  नशा   हो,

बेनक़ाब चरित्र देखिये.

शराब   का  नशा   हो

असली  चरित्र  देखिये.

-अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर.


6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (27-04-2022) को चर्चा मंच      "अब गर्मी पर चढ़ी जवानी"   (चर्चा अंक 4413)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'    --

    जवाब देंहटाएं
  2. उत्तर
    1. अनीता जी सुन्दर टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार.

      हटाएं

विप्र सुदामा - 38

  कवि एवं लेखक : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943------) इसी  बीच आ गई  सुशीला, देखा बच्चे थे पितु चरणों में । कर जो...