-अशर्फी लाल मिश्र
अशर्फी लाल मिश्र |
चरित्र देखना है,
नशे में देखिये.
धन का नशा हो,
तब चरित्र देखिये.
ओहदे का नशा हो,
बेनक़ाब चरित्र देखिये.
शराब का नशा हो
असली चरित्र देखिये.
-अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर.
लेखक : अशर्फी लाल मिश्र अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) भामा मुख से जब सूना, दर्शन करना हो वीतरागी। या तीर्थयात्रा पर हो ...
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (27-04-2022) को चर्चा मंच "अब गर्मी पर चढ़ी जवानी" (चर्चा अंक 4413) पर भी होगी!
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' --
'मयंक ' जी बहुत बहुत आभार.
हटाएंवाह! बहुत बढ़िया कहा सर👌
जवाब देंहटाएंसादर
अनीता जी सुन्दर टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार.
हटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंभारती जी आप का आभार.
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