सोमवार, 17 जनवरी 2022

कोहरे की अब दादागीरी

 लेखक : अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र


लगा माघ शीत अति भारी,

कैसे बिताऊँ ठंढ अनियारी।

हाड़   कांपै   अग्नी   सीरी,

कोहरे  की  अब  दादागीरी।

शीत    मीत    पवन   देव,

निकल  पड़े  हैं  धीरे  धीरे।

अवसर देख मेघ आ धमके,

बूंदे   झरती     धीरे    धीरे।

दिन रात में नाहीं कोई अंतर,

दिनकर   मानो   छू   मंतर।


रचयिता: अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर,कानपुर।

 

7 टिप्‍पणियां:

जागो जागो लोक मतदाता

  कवि एवं लेखक - अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) जागो जागो लोक मतदाता, मतदान  करो  तुम  बार बार। जनतन्त्र  म...