रविवार, 16 जनवरी 2022

राजनीति पर दोहे मुक्तक

 लेखक : अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र






राजनीति  की  नाव पर ,  चढ़ता जो असवार।

पिछड़े दलित शब्द सदा , राखै   दो   पतवार।।


रचयिता: अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर, कानपुर।


14 टिप्‍पणियां:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (17-01-2022 ) को 'आने वाला देश में, अब फिर से ऋतुराज' (चर्चा अंक 4312) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

    जवाब देंहटाएं
  2. बिलकुल सटीक ।मैने भी राजनीति पर कविता डाली है ब्लॉग पे । समय हो तो ब्लॉग पर भ्रमण करें आदरणीय ।

    जवाब देंहटाएं
  3. बिल्कुल सही कहा आपने! बहुत ही उम्दा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  4. दलित और पिछड़ों को आगे बढ़ाते सत्तर साल हो गए वे तो पीछे ही रह गए बहुत से लोग आगे बढ़ गए

    जवाब देंहटाएं

जागो जागो लोक मतदाता

  कवि एवं लेखक - अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) जागो जागो लोक मतदाता, मतदान  करो  तुम  बार बार। जनतन्त्र  म...