रविवार, 22 अगस्त 2021

नीति के दोहे मुक्तक

 द्वारा: अशर्फी लाल मिश्र 

Asharfi Lal Mishra




          


  लेखनी

मत करियो कुंठित कलम, गाय मनुज यशगान।

मानव   हित   में   लेखनी, वही  लेखनी  जान।।


© कवि : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

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