शुक्रवार, 2 जुलाई 2021

नीति के दोहे मुक्तक

कवि : अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर ,कानपुर। 

निंदा 

1 - निंदा से घबड़ाय कर ,लक्ष्य छोड़िये नाहि। 

     राय बदले निंदक की, देखि सफलता पाहि।।

2-  अमोघ अस्त्र राजनीति, निंदा को ही जान। 

    धीरज  धरि  निंदा   सुने, नेता वही  महान।।

©अशर्फी लाल मिश्र 


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