शनिवार, 27 जून 2020

भ्रष्टाचार (मुक्तक)

© अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर
अशर्फी लाल मिश्र

भ्रष्ट का हो अपना जगत,
रूप उसका बगुला भगत।
दृष्टि उसकी पैनी यथा ,
बक को दिखती मीन सदा।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

जागो जागो लोक मतदाता

  कवि एवं लेखक - अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) जागो जागो लोक मतदाता, मतदान  करो  तुम  बार बार। जनतन्त्र  म...