मशीन
कलयुग में कल की धूम ,कल से होते काम।
कल से जाए संदेशा , कल से निकलें दाम।।
काला धन
काले धन से खुल रहे , राजनीति के द्वार।
जनता को गुमराह कर , चाह सदन दरबार।।
© कवि : अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर ,कानपुर।
-- लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।© अशर्फी लाल मिश्र पूर्णिमा तिथि थी अषाढ़ मास की, जब महर्षि व्यास ने जन्म लिया। प...
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