मंगलवार, 24 सितंबर 2019

महाप्रयाण का आमंत्रण

© अशर्फी लाल मिश्र,अकबरपुर ,कानपुर *                
Asharfi Lal Mishra
 मंत्रिपरिषद का निर्णय था,
राजतिलक   हो  राम   का।
गुरु बशिष्ठ की इच्छा थी,
राजतिलक  हो  राम   का।।

दशरथ  की   बुद्धि   क्षीण    हुई ,
कैकेयी  के  वश  में   आये   थे।
राम  को  भेजा  था दण्डक वन,
मानों महाप्रयाण का आमंत्रण।।

त्रैलोक्य   विजेता   था   रावण,
जब  बुद्धि  उसकी  क्षीण    हुई।
सीता  का  किया  था अपहरण,
मानों महाप्रयाण का आमंत्रण।।

महाबली      बरदानी      बाली,
जब  उसकी  बुद्धि   क्षीण   हुई।
अनुज  बधु  पर   पड़ी   कुदृष्टि,
मानों महाप्रयाण का आमंत्रण।।
-- लेखक एवं रचनाकार:अशर्फी लाल मिश्र,अकबरपुर,कानपुर।©



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

विप्र सुदामा - 41

  कवि एवं लेखक : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943------) इसी बीच  आ गये  थे बच्चे, सिर झुकाया  पितु चरणों में। दोनो...