मंगलवार, 30 अप्रैल 2024

विप्र सुदामा - 41

 कवि एवं लेखक : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र (1943------)







इसी बीच  आ गये  थे बच्चे,

सिर झुकाया  पितु चरणों में।

दोनों हाथों से अब बच्चों को,

उठाकर  लगाया  था सीने में।।


खड़े सभी बच्चे  कर जोड़े,

अश्रु प्रवाहित थे नयनों से।

निकले मुख से  शब्द नहीं,

अश्रु  कहें  बात  अनकही।।


बच्चों के  बहते अश्रु देख,

विप्र भी अश्रु न रोक सके।

तटिनी  के अब  दोनों तट,

मनु धारा  से अब जुड़ रहे ।।


एक हिलोर उठे इक तट से,

दूजे से  जा  टकराने लगी।

दूजे से लौटी हिलोर जभी,

हिय तट को  हिलाने लगी।।


विप्र  अब पूँछहि बच्चों से, 

कारण  अश्रु   बहाने  का।

बिन मुख बोले  बच्चे अब,

अनुनय करें  घर चलने का।।

कवि एवं लेखक : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©

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