रविवार, 19 जनवरी 2025

महाकुम्भ प्रयाग

 लेखक : अशर्फी लाल मिश्र अकबरपुर, कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र (1943------)







संगम  स्थल पावन धरा, देव गंग सम जान।

पावन भू पग धरत ही,लौकिक पाप निदान।।1।।


भ्रमण पर ऋषि दुर्वासा, सम्मुख दिखे सुरेश।

प्रणाम कर ऋषि से कहा, दानव करें कलेश।।2।।


सागर  मंथन  से  मिले, चौदह रत्नहि साथ।

था अमिय कलश अंत में, धन्वंतरि के हाथ।।3।।


सूर असुर  संघर्ष करें, सब चाहें अमिय पान।

कुछ बूंदें भूमि छलकी, जान  प्रयाग   महान।।4।।


मेला कुम्भ प्रयाग का, जग में है विख्यात।

विश्व के हर  कोने  से, पहुँच रहे दिन रात।।5।।


विविध संत अरु अखाड़े, शोभा वरनि न जाय।

जहाँ विविध  कल्पवासी, मन का  पाप  नसाय।।6।।


संक्रांति तिथी मकर की,वसंत पंचम आन।

अपार   भीड़  मेला  में, डुबकी मौनी जान।।7।।

लेखक : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©

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