लेखक : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।
अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) |
कदम बढ़ रहे धीरे धीरे ,
मन में गूंजे एक ही बात।
कहीं यदि मीत ने पूँछा,
क्या मीत अकेले आये हो?
तब क्या उत्तर दूँगा मैं,
झूंठ दिखेगा चेहरे पर।
ब्राह्मज्ञानी मीत हमारे,
उनसे कुछ न छिपेगा।।
धीरे धीरे बढ़ रहे कदम,
जिधर महल विप्र का।
नगर वासी पूँछ रहे थे,
कहाँ जाना पथिक का।।
कुछ काल ठहरो पथिक,
तूम श्रम परिहार कर लो।
मैं लाया अभी शीतल जल,
पीकर श्रम परिहार कर लो।।
पुण्य भूमि संत सुदामा की,
हम उनके दर्शन हित आये।
मन में जागी चाह मिलन की,
भूख प्यास मन नहि भाये।।
लेखक : अशर्फी लाल मिश्र अकबरपुर,कानपुर।©
एक अद्भुत प्रेरणा दायी शृंखला विप्र सुदामा. प्रणाम.
जवाब देंहटाएंआभार। सुखी रहो।
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