रविवार, 15 मई 2022

लगा जेठ अब चले लुआरा

 --अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र 







लगा जेठ अब चले लुआरा,

दिनपति बरसाये  अंगारा।

रथ दिनपति  जब निकला,

मारूत भी भयभीत छिपा।।


मानो अनुशासित सैनिक ,

हिलना डुलना बन्द हुआ ।

मारूत मीत पीपल पात,

दिनपति देते सलामी  हैं।


श्वान  बेचारे  जीभ  निकाले,

पशु  पक्षी  भी बेहाल  दिखें।

मयूर  नर्तन अब  नाहि दिखे,

वे   भी  अब  बेहाल   दिखें।।


- लेखक एवं रचनाकार: अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

विप्र सुदामा - 40

  लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) नाथ  प्रभु  कृपा जब होये, क्षण में  छप्पर महल होये।  प्...