रविवार, 17 अप्रैल 2022

नीति के दोहे मुक्तक

 --अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र 






सुख -शांति 

जिस  घर   गुस्सा   वासना, मन  में  लालच  होय.

उस घर नहि हो सुख शांति, यह जानत सब कोय..

शुभ काम 

मर्यादित  रखो  भाषा, घर में हो शुभ काम.

आचरण रखो संयमित, खर्चो कुछ भी दाम..


--अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर.

11 टिप्‍पणियां:

  1. मयंक जी आप का बहुत बहुत आभार.

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह!!!
    बहुत सुन्दर सन्देशपरक दोहे।

    जवाब देंहटाएं

विप्र सुदामा - 41

  कवि एवं लेखक : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943------) इसी बीच  आ गये  थे बच्चे, सिर झुकाया  पितु चरणों में। दोनो...