शनिवार, 16 अक्तूबर 2021

नीति के दोहे मुक्तक

 कवि : अशर्फी लाल मिश्र 

अशर्फी लाल मिश्र 

केश 
श्वेत   केश  तजुर्बे   के, काले  केश उमंग। 
काजल रेख नयन संग , मन में भरता रंग।।

 पाषाण हृदय

पाहन  हिय मृदुता  संग ,सरल ह्रदय बन  जाय। 
जिमि शैल खंड जल धार, रुचिर शिवांग कहाय।।

कवि : अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर , कानपुर।  




4 टिप्‍पणियां:

  1. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (18 -10-2021 ) को 'श्वेत केश तजुर्बे के, काले केश उमंग' (चर्चा अंक 4221) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  2. चर्चा मंच में हमारी रचना को सम्मिलित करने के लिए आप का हृदय से बहुत बहुत आभार।

    जवाब देंहटाएं

विप्र सुदामा - 40

  लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) नाथ  प्रभु  कृपा जब होये, क्षण में  छप्पर महल होये।  प्...