शुक्रवार, 17 सितंबर 2021

नीति के दोहे मुक्तक

द्वारा : अशर्फी लाल मिश्र 

अशर्फी लाल मिश्र 
राजनीति 
अपराधी   गले   माला ,राजनीति  के   संग।
पुलिस जिसकी तलाश में ,अब वही रक्षक संग।।
काला धन होय सफ़ेद ,राजनीति के संग। 
साथी सब  नेता  कहें ,शत्रु रह जायें दंग।।
साक्षर होय  केवल वह , अशिष्ट भाषा होय। 
काला धन हो पास में, मंत्री बनता सोय।।

©कवि : अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर, कानपुर। 




14 टिप्‍पणियां:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(१८-०९-२०२१) को
    'ईश्वर के प्रांगण में '(चर्चा अंक-४१९१)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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विप्र सुदामा - 40

  लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) नाथ  प्रभु  कृपा जब होये, क्षण में  छप्पर महल होये।  प्...