कवि : अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर ,कानपुर।
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नीति के दोहे मुक्तक
लेखक : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943------) मनहि हारे हार मीत, मन के जीते जीत। रक्त चाप सदा हि बढ़े, मन के हार...
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© लेखक : अशर्फी लाल मिश्र Asharfi Lal Mishra वियोगी होगा पहला कवि...
सीखप्रद सृजन..अति सुन्दर।
जवाब देंहटाएंबहिन मीना आप का बहुत बहुत आभार।
हटाएंयथार्थ वर्णित करती अच
जवाब देंहटाएंछी रचना ...
बहिन शरद जी आप का हृदय से आभार।
हटाएंबहिन अनीता आप का बहुत बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंसार्थक मुक्तक - - दीपावली की असंख्य शुभकामनाएं - - नमन सह।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत हृदय से आभार
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