शिशिर आगमन जानकर, हुई पवन अति मंद।
कुहासे की दस्तक से, अब नहि दिखता चंद।।
खेत खेत में जल रहे,फसलों के अवशिष्ट।
कम हो रही है दृश्यता,श्वसन क्रिया अति क्लिष्ट।।
जहर उगलें जनरेटर, डीजल वाहन आज।
जीना मुश्किल हो रहा, कैसे दैनिक काज।।
जब छूटे आतिशबाजी, हवा विषैली जान।
मुश्किल हो सांस लेना, बहरे होयें कान।।
रचनाकार एवं लेखक : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।
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