- लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।
अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) |
मुझे प्रिय छप्पर छानी,
त्रिलोक में सबसे न्यारी।
तिनके तिनके में रमे हैं,
वृन्दावन कुंज बिहारी।।
टूटी खाट पर लेटत ही,
आती नींद आँखों में,
सारी रात मुरली ध्वनि,
गूँजा करती कानों में।।
ब्रह्म मुहूर्त के आते आते,
मुरली ध्वनि हो जाती बन्द।
अचानक आँखें तब खुलतीं,
जब कलरव करते पक्षी वृन्द।।
सुबह सुबह ऊषा सुन्दरी,
नित्य जगाये निज कर से।
हम भी करते आभार प्रकट,
दोनों जोड़े कर हिय से।।
महल तुम्हारा लागे जेल,
कैसे आऊँ महल तुम्हारे?
सदा रहते हैं बन्द कपाट,
कैसे मिलेंगे मीत हमारे?
लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लालमिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©
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