- अशर्फी लाल, अकबरपुर, कानपुर।
अशर्फी लाल मिश्र |
कंचन
अधिक आयु का मूल्य नहि, कंचन में गुण जान।
शब्दों के गठजोड़ का, कहीं न होता मान।।1।।
वाणी
वेश वसन से संत नहि, नहि कोई विद्वान।
दिखें काक पिक एक से, वाणी से पहिचान।।2।।
- लेखक रचनाकार -अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। ©
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