--अशर्फी लाल मिश्र
अशर्फी लाल मिश्र |
पवन
शीतल मंद पवन सदा, सब को अधिक सुहाय ।
वही पवन अति वेग से , नहि काहू मन भाय।।1।।
भाषा
गरम बात से खिन्न मन, गरम वात से गात ।
दोनों से तन मन दुखी , दिन होये या रात।।2।।
अपनों के मध्य
पशु पक्षी भी खुश होयें, पाकर अपना झुण्ड ।
जो खुश होता नहि दिखे , वह हैं शिला खण्ड।।3।।
- अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर, कानपुर।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 05 मई 2022 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
बहुत बहुत आभार।
हटाएंवाह! सटीक दोहे
जवाब देंहटाएंAnita जी आप का बहुत बहुत आभार.
हटाएंतीनों नीतिपरक दोहे बहुत ही अच्छे लगे।
जवाब देंहटाएंशानदार टिप्पणी के लिए कविता जी को बहुत बहुत आभार.
हटाएंउर्मिला जी! आप का हृदय से आभार.
जवाब देंहटाएंशिला खंड की सटीक परिभाषा।
जवाब देंहटाएंआभार
जवाब देंहटाएं