रविवार, 13 मार्च 2022

नीति के दोहे मुक्तक

 --अशर्फी लाल मिश्र 

अशर्फी लाल मिश्र






(दोहे साधु पर)

कंचन कामिनि कीर्ति की, जिसमें  इच्छा  होय।

भले  ही  वेश   साधु  का,फिर भी साधु न होय।।


--अशर्फी लाल मिश्र,अकबरपुर,कानपुर।

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