खांड सीठी , चीनी सीठी,
जब से देखी मुस्कान मिठाई।
तन मन में वह रम गई,
ऐसी है वह मुस्कान मिठाई।।
सोवत जागत भूले नाहीं,
ऐसी मीठी मुस्कान मिठाई।
ग्राहक भी स्वयं बिका बिका,
ऐसी है वह अमूल्य मिठाई।।
कवि : अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर ,कानपुर।
अनीता जी बहुत बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना आदरणीय मेरे ब्लॉग पर भी अपना नेह बरसाएँ।सादर
जवाब देंहटाएंअभिलाषा जी बहुत बहुत आभार।
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