शनिवार, 28 मार्च 2020

निज गृह की ओर (मुक्तक)

© अशर्फी लाल मिश्र,अकबरपुर, कानपूर ।
Asharfi Lal Mishra











गए  थे  अपना   घर   छोड़कर, 
उदर की भूख मिटाने  के लिए।
आज   वही   विवश    हो    रहे,
वापस   घर   आने   के   लिए।।

जीवन   का  अवसान  जान,
उन्मुख निज  गृह   की ओर।
विवश    हो    रहे   हैं   आज,                     
वापस   घर  आने  के  लिए।।

सिर   पर      है    पोटली,
 साथ       में      संगिनी।
आँखें     अश्रु        पूरित,
वापस घर आने  के लिए।।

भूख        से       व्याकुल,
 पैरों   में   पड़े   हैं   छाले।
कभी आँखें प्रिया की ओर,
वापस घर आने  के लिए।।
           =*=



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