शुक्रवार, 5 मई 2023

नीति के दोहे मुक्तक

 -- अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर कानपुर।©

अशर्फी लाल मिश्र 






भय

भय से डरिए ही सदा, जब तक आया नाहि।

सम्मुख आया होय भय, मार भगाओ ताहि।।1।।

वाणी

चतुर उसे ही जानिये, जो प्रिय वादी होय।

स्पष्ट वक्ता होय यदी, धोखा नाहीं कोय।।2।।

शून्य 

संतान बिन घर सूना, जनु मूरख बिन ज्ञान।

गरीबी होय  पास  में, मनु सूना  जग जान।।3।।

-- लेखक  एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

व्यास पूर्णिमा (गुरु पूर्णिमा)

 -- लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।© अशर्फी लाल मिश्र  पूर्णिमा तिथि थी अषाढ़ मास की, जब महर्षि व्यास ने  जन्म लिया। प...