शनिवार, 11 जून 2022

नीति के दोहे मुक्तक

 --अशर्फी लाल मिश्र 

अशर्फी लाल मिश्र 






लक्ष्मी

चंदन  निज  कर   से   घिसे, माला   गूंथे   हाथ।

स्तुति लिखे जो निज कर से, लक्ष्मी रहती साथ।।1।।

महत्त्व

बूंद बूंद  से घट भरे, शब्द शब्द से ज्ञान।

मात्र एक ही वोट से,सत्ता पाय सुजान ।।2।।

धन

मीत बंधु चाकर सभी, त्यागैं लख धनहीन।

धनहि देख सब हों निकट, धन ही श्रेष्ठ प्रवीन।।3।।


--अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।


2 टिप्‍पणियां:

विप्र सुदामा - 39

लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943---) प्रिये तुझे  मुबारक तेरा महल, मुझको प्रिय  लागै मेरी छानी। ...