कवि : अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर ,कानपुर।
निंदा
1 - निंदा से घबड़ाय कर ,लक्ष्य छोड़िये नाहि।
राय बदले निंदक की, देखि सफलता पाहि।।
2- अमोघ अस्त्र राजनीति, निंदा को ही जान।
धीरज धरि निंदा सुने, नेता वही महान।।
©अशर्फी लाल मिश्र
लेखक : अशर्फी लाल मिश्र अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र ( 1943----) अभी कान्ह चुप चाप पड़े थे, मुख से निकलहि शब्द नहीँ। भामा के प्रश्नों...
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