शुक्रवार, 28 मई 2021

पीत पात झरते सदा

द्वारा : अशर्फी लाल मिश्र 

अशर्फी लाल मिश्र 










पीत  पात   झरते  सदा,
हरित  पात  यदा  कदा। 
जीवन मरण सत्य सदा,
उत्थान पतन क्रम सदा।।

पतिव्रता  के  पुण्य  से ,
भाग्य खुले सदा  सदा। 
पूर्वजों  के पुण्य   से ही,
पड़ोसी मित्र मिले सदा।।

© कवि : अशर्फी लाल मिश्र, रूरा ,कानपुर। 


2 टिप्‍पणियां:

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