| अशर्फी लाल मिश्र |
पीत पात झरते सदा,
हरित पात यदा कदा।
जीवन मरण सत्य सदा,
उत्थान पतन क्रम सदा।।
पतिव्रता के पुण्य से ,
भाग्य खुले सदा सदा।
पूर्वजों के पुण्य से ही,
पड़ोसी मित्र मिले सदा।।
© कवि : अशर्फी लाल मिश्र, रूरा ,कानपुर।
रचनाकार एवं लेखक : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर अशर्फी लाल मिश्र (1943----) कुछ हों दरिद्री धन से, कुछ वाणी से जान। दोनों होंय एक साथ...
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंसाधुवाद।आभार।
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