सोमवार, 23 सितंबर 2019

ऋतुराज बसंत

ऋतुओं का राजा आया बसंत।
स्वागत -स्वागत तेरा बसंत।।

स्वागत करते किसलय तेरा।
स्वागत करते     प्रसून तेरा।।

कलियाँ  भी  स्वागत करती।
मुस्कातीं   हैं   दे  चिटकारी।।
अशर्फी लाल मिश्र (1943----)
                                                                


घर घर युवतीं ख़ुशी मनातीं।
पीली साड़ी पहिन निकलतीं।।

पादप  हों   या   नर   नारी।
बसंती रंग है सब पर भारी।।

हाथों  में   रची  है  मेंहदी।
पैरों  में  सजी  महावर है।

खुशियां  छाईं   दिग  दिगंत।
स्वागत स्वागत तेरा बसंत।

--लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र , अकबरपुर,  कानपुर। 

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विप्र सुदामा - 39

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