-- Author - Asharfi Lal Mishra, Akbarpur, Kanpur.©
विप्र सुदामा का हाल देखो।
कृष्ण के मित्र का हाल देखो।।
पैरों में जूती नाहि कोई बात नहीं।
लंगोटी छोड़ कोई वस्त्र नहीं।।
घर में नहीं था अन्न का दाना।
बच्चे व्याकुल भूखे देखो।।
फटी मैली कुचैली साड़ी में।
पत्नी सुशीला का हाल देखो।।
अब भिक्षा भी मिलती मांगे नाहि।
सुदामा की गरीबी का हाल देखो।।
Asharfi Lal Mishra |
कृष्ण के मित्र का हाल देखो।।
पैरों में जूती नाहि कोई बात नहीं।
लंगोटी छोड़ कोई वस्त्र नहीं।।
घर में नहीं था अन्न का दाना।
बच्चे व्याकुल भूखे देखो।।
फटी मैली कुचैली साड़ी में।
पत्नी सुशीला का हाल देखो।।
अब भिक्षा भी मिलती मांगे नाहि।
सुदामा की गरीबी का हाल देखो।।
टूट गई थी सुशीला तन मन से।
उसके टप टप आंसू टपकते देखो।।
कई दिनों से जला न चूल्हा।
सुदामा की गरीबी का हाल देखो।।
टूटी छानी छप्पर की थी।
सुदामा की गरीबी का हाल देखो।।
Poet and Author : Asharfi Lal Mishra, Akbarpur,Kanpur, India.©
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