© अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर, कानपुर *
अंगना में ठुमुक चलहिं अवध विहारी।
मातु कौशल्या हर्षित होइ दै दै तारी।।
छुद्र घंटिका कमर करधनी।
पैर में बाजैं पैजनियाँ।।
दौड़े दौड़े अंगना घूमैं पीछे पीछे महरानी ।
माता लेइ बलइयां आज गोद उठाये रानी ।।
गले में सोहै 'हाय' हेम की माला।
भाल में टीका लगा था काला।।
अँचरा ढकि माई दूध पिलाये।
डरपि रही नजर न लागै लाला।।
Asharfi Lal Mishra |
मातु कौशल्या हर्षित होइ दै दै तारी।।
छुद्र घंटिका कमर करधनी।
पैर में बाजैं पैजनियाँ।।
दौड़े दौड़े अंगना घूमैं पीछे पीछे महरानी ।
माता लेइ बलइयां आज गोद उठाये रानी ।।
गले में सोहै 'हाय' हेम की माला।
भाल में टीका लगा था काला।।
अँचरा ढकि माई दूध पिलाये।
डरपि रही नजर न लागै लाला।।
-- अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©
=*=
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें