मंगलवार, 8 अप्रैल 2025

विप्र सुदामा - 70

 लेखक : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र (1943-----)







कान्ह  गले  मिलि मीत  से,

निकल पड़े अब कुटिया से।

मन खोया बचपन स्मृति में,

अश्रु टपक रहे अँखियन से।।


धीरे धीरे  चल रहे  थे कान्ह,

साथ  विप्र अरु सुशीला थी।

जान  बिदाई  मीत  विप्र की,

पीछे पीछे  सिगरी नगरी थी।।


अब पहुँच  गये  नगरी सीमा,

जँह रथ खड़ा था कान्हा का।

अब हाथ जोड़ खड़े थे कान्हा,

आभार प्रकट करहिं नगरी का।।


माँग  आशीष देवि सुशीला से,

गले लिपट गये बचपन मीत से।

दो कदम बढ़े ही थे रथ की ओर,

पुनः गले  लिपट   गये  मीत  से।।


जब रथ पर बैठ गये कान्हा,

दहाड़ मार रोई सिगरी नगरी।

वादा करो आज  कान्ह तुम,

फिर कब अइहौ मोरी नगरी।।

-लेखक: अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©

विप्र सुदामा - 70

  लेखक : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) कान्ह  गले  मिलि मीत  से, निकल पड़े अब कुटिया से। मन खोया बचपन स्मृत...