अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) |
बुधवार, 13 नवंबर 2024
बिनु पानी बेहाल
सोमवार, 11 नवंबर 2024
विप्र सुदामा - 52
लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर कानपुर।
अशर्फी लाल मिश्र (1943-------) |
एक दिवस कान्हा शैय्या पर,
इसी मध्य आ गई थी भामा।
प्रिये लागा मन मेरा मीत में,
मन कहता रहूँ पुरी सुदामा।।
नाथ मत सोचो तुम ऐसा,
द्वारिका हो जायेगी अनाथ।
आगे आगे होंगे नाथ द्वारिका,
पीछे होगी द्वारिका साथ साथ।।
राजा का धर्म प्रजा पालन,
पलायन करना धर्म नहीं।
सदा मीत तुम्हारे धर्म धुरी,
पथ से होते विचलित नहीं।।
प्रिये राजधर्म है वैभव युक्त,
हमारी उसमें आसक्ति अभी।
अब मेरे मन में उठ रहे भाव,
सब वैभव त्यागूँ आज सभी।।
मीत हमारा रहता छानी,
फिर भी रहता मगन सदा।
हम हैँ प्रिये द्वारिका राजा,
फिर भी रहते चिंतित सदा।।
लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©
बिनु पानी बेहाल
लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।© अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) कच्चे घर थे मृदा के, गहरे रहते ताल। पोखर पूरित वारि ...
-
© लेखक : अशर्फी लाल मिश्र Asharfi Lal Mishra वियोगी होगा पहला कवि...