शनिवार, 8 फ़रवरी 2025

विप्र सुदामा - 63

 लेखक : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र (1943------)






सुशीला संग  मुरारी महल में,

देख चतुर्दिक  चकित मुरारी।

कहीं बाल लीला करते कान्हा,

द्रौपदी  लाज  बचाते  बिहारी।।


एक चित्र में  थे  गाण्डीवधारी,

सारथी रथ के थे कृष्ण मुरारी।

था माखन चोरी का रम्य दृश्य,

दण्डित करें  यशोदा   महतारी।।


था द्वारिकाधीश उपकृत महल,

कान्ह चित्रों  से अनुपम सजा।

मुख्य द्वार पर अनुपम प्रतिमा,

मुरली अधरन  संग भानु लली।।


पूरे महल में छा गई रौनक़,

कान्हा देखें चित्र एक एक।

देवि सुशीला अंगुली संकेत,

चित्र  दिखा  रहीं एक एक।।


पूरे महल  में  घूमे  मुरारी,

मन्त्र मुग्ध सम हुये मुरारी।

राधा संग निज चित्र  देख, 

पुलकित मन बेसुध मुरारी।। 

लेखक : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©

2 टिप्‍पणियां:

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