शुक्रवार, 15 नवंबर 2024

विप्र सुदामा - 53

 लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र (1943-----)








यद्यपि कान्हा राजा द्वारिका,

तदपि  मन  था  शांत   नहीं।

धन वैभव  की तीव्र लालसा,

मन में  थी सुख  शान्ति नहीं।।


राज्य  रक्षा  प्रजा  पालन,

इसी में समय गुजरता था।

शैय्या पर जब होयें कान्हा,

तब तब याद आयें सुदामा।।


 छप्पन भोग  संध्या थाली,

रुक्मिणी  संग आईं भामा।

प्रिये   मँगाओ   रथ  हमारा,

हम जाना चाहें पुरी सुदामा।।


रात  अँधेरी  अकेले   जाना,

राजन    देता   शोभा  नहीं।

साथ सारथी  सुरक्षा सैनिक,

नाथ अकेले जाना ठीक नहीं।.


प्रिये! हम हैँ  कुशल सारथी,

इसमें  है   कोई  शंका  नहीँ।।

सदा साथ  रहे  सुदर्शन चक्र,

निज रक्षा में भी  शंका  नहीं।।

रचनाकार एवं लेखक : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©

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