लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।
अशर्फी लाल मिश्र (1943---) |
प्रिये तुझे मुबारक तेरा महल,
मुझको प्रिय लागै मेरी छानी।
तुम सोइयो आपन महल में,
हम गुजारब दिन छप्पर छानी।।
नाथ हमने नाहीं माँगा महल,
आप के प्रताप से बना महल।
नाथ आप के बिना व्यर्थ महल,
हम भी नाहीं जाऊँ इस महल।।
नाथ पावस ऋतु आयेगी,
घन घोर घटाएँ छायेंगी।
अविरल मेघ बरसते होंगे,
बच्चे कैसे रहेंगे छानी में।।
जब पवन झकोरा आयेगा,
नाथ हाड़ काँपती सर्दी में।
नाथ घर में छोटे बच्चे चार,
कैसे रहेंगे छप्पर छानी में।।
नाथ हम रह लेंगी छानी में,
पर बच्चे कैसे रहेंगे छानी में।
आज बच्चों के ही भाग्य से,
नाथ छानी बदल गई महल में।।
रचनाकार एवं लेखक : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©
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