रविवार, 3 दिसंबर 2023

विप्र सुदामा - 32

 लेखक : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर

अशर्फी लाल मिश्र (1943------)






बहु विधि समझाया सुशीला ने,

पर विप्र को हुआ विश्वास नहीं।

सब सखियाँ  भी समझाय रहीं,

पर विप्र को होता विश्वास नहीं।।


एक   सखी  तब   बोल  पड़ी,

सखि! टेरि बुलाओ बच्चों को।

ठीक कहा अब हम  जाय रहीं,

शीघ्र  बुलाने  सब  बच्चों   को।।


सुशीला  अब  दौड़ी  तेजी  से,

शीघ्र  पहुँच  गई अब महल में।

सुशीला बच्चों  के नाम पुकारे,

ढूंढ रही दौड़ दौड़ कर महल में।।


पर घर में  बच्चा था कोई नहीं,

अब सुशीला हो  गई थी बेचैन।

दौड़ दौड़ कर अब थक गई थी,

अश्रु पूरित हो गये थे दोनों नैन।।


इस बीच सखियाँ  टेरि रहीं,

जल्दी  आओ   मेरी   सखी!

साथ में  बच्चे  लेकर आओ,

विप्र पहचान सकें मेरी सखी!

लेखक : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर।©


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