-- अशर्फी लाल मिश्र,, अकबरपुर, कानपुर।
अशर्फी लाल मिश्र |
प्रक्षेपण हुआ चंद्रयान तीन का,
दूरदर्शन पर भारत उमड़ पड़ा।
श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र से,
जब दहाड़ लगाते यान उड़ा।।
एक तरफ थी करतल ध्वनि,
दूजे गड़गड़ाहट यान की।
वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत,
भारत के सम्मान की।।
इक दिन होगा सपना पूरा,
मानव जीवन चांद पर।
होटल होंगे बस्ती होंगी,
रिश्ते होंगे चांद पर।।
-- लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र,अकबरपुर, कानपुर।©
आपकी रचना चर्चा मंच ब्लॉग पर रविवार 16 जुलाई 2023 को
जवाब देंहटाएं'तिनके-तिनके अगर नहीं चुनते तो बना घोंसला नहीं होता (चर्चा अंक 4672)
अंक में शामिल की गई है। चर्चा में सम्मिलित होने के लिए आप भी सादर आमंत्रित हैं, हमारी प्रस्तुति का अवश्य अवलोकन कीजिएगा।
आभार आपका।
जवाब देंहटाएंजय हो!!!राष्ट्र की अप्रितम उपलब्धि और कर्मयोगी वैज्ञानिकों का सफल अनुसंधान ,उस पर गर्वोन्मत कवि का सुन्दर भाष्य!!।बधाई मिश्रा जी अनमोल पल को कविता में सजाने के लिए 🙏
जवाब देंहटाएंआभार रेणु जी!
हटाएंवाह बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंभारती दास जी! बहुत बहुत आभार ।
हटाएं