रविवार, 10 जुलाई 2022

नीति के दोहे मुक्तक

 --अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र






सरस्वती वंदना

विनती वीणा पाणि से, देहु हमें आशीष।

शब्दों के  गठजोड़  से, कहलाऊँ वागीश ।।1।।

अपमान

बिना मान मरिबो भलो, दुखड़ा इक पल जान।

बिना मान जीवन सदा, पल पल दुख अनुमान।।2।।

कपट

छल छद्म होय यदि पास,दूरी रखिए खास।

निकट  के  रिश्ते भले हि, मत करियो विश्वास।।3।।

--लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर ।©


2 टिप्‍पणियां:

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  लेखक : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) कान्ह  गले  मिलि मीत  से, निकल पड़े अब कुटिया से। मन खोया बचपन स्मृत...