बुधवार, 29 दिसंबर 2021

शैया डूबी मनो हिमंचल

 कवि : अशर्फी लाल मिश्र,अकबरपुर, कानपुर।

अशर्फी लाल मिश्र






पौष मास शीत अति कड़क,

कुहासा पहुंचा अपनी धमक।

भय कुहासा रविकर कम्पन,

बाल  रवि  कर   रहा  वंदन।।


लगा   कुहासा  अब  कर्फ्यू,

अब  रथ दिनकर लौट गया।

सड़कों  पर  अब नहीं भीड़,

पक्षी छिप गये अपने नीड़।।


लकड़ी कोयले का अभाव,

नहीं दिखते जलते अलाव।

बूढ़ों में  नहिं कोई हलचल,

शैया  डूबी  मनो  हिमंचल ।।

-अशर्फी लाल मिश्र 

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4 टिप्‍पणियां:

विप्र सुदामा - 40

  लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) नाथ  प्रभु  कृपा जब होये, क्षण में  छप्पर महल होये।  प्...