कवि : अशर्फी लाल मिश्र,अकबरपुर, कानपुर।
अशर्फी लाल मिश्र |
पौष मास शीत अति कड़क,
कुहासा पहुंचा अपनी धमक।
भय कुहासा रविकर कम्पन,
बाल रवि कर रहा वंदन।।
लगा कुहासा अब कर्फ्यू,
अब रथ दिनकर लौट गया।
सड़कों पर अब नहीं भीड़,
पक्षी छिप गये अपने नीड़।।
लकड़ी कोयले का अभाव,
नहीं दिखते जलते अलाव।
बूढ़ों में नहिं कोई हलचल,
शैया डूबी मनो हिमंचल ।।
-अशर्फी लाल मिश्र
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ठंड का चित्रण करती सामयिक रचना ।
जवाब देंहटाएंटिप्पणी लिखने के लिए बहुत बहुत आभार।
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद ।
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