सोमवार, 27 दिसंबर 2021

दोहे राजनीति पर

 द्वारा : अशर्फी लाल मिश्र 

अशर्फी लाल मिश्र 





       

                        दोहे 

1 - उत्सव होइ चुनाव का , बजैं जाति के ढोल। 

      खाई जनता में बढ़े , सुन सुन कड़ुवे  बोल।। 

2 - जातिवाद अभिशाप है , लोकतंत्र के देश। 

     समाज सेवा होइ नहि ,जातिय झंडा शेष।।


कवि : अशर्फी लाल मिश्र ,अकबरपुर ,कानपुर। 



6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (29-12-2021) को चर्चा मंच       "भीड़ नेताओं की छटनी चाहिए"  (चर्चा अंक-4293)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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  2. बहुत सही बात कही आपने सर!
    जातिवाद अभिशाप है लोकतांत्रिक देश में.. पर आप सोच यह मौका हम लोगों ने ही राजनेताओं को दिया है जिस वजह से हर बात धर्म की कड़ाही में चुनावी चासनी बनाने में कामयाब रहते हैं! और उससे भी दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज भी सभी राजनेताओं की यह नीति काम कर रही है!क्योंकि उन्हें पता है कि धर्म के नाम पर राजनीति करके सत्ता में आने का सबसे आसान तरीका है!

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    1. धर्म राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोता है और जातियाँ बिखराव। अंग्रेजों ने धर्म को साथ रखकर सम्पूर्ण विश्व में फैल गए और राज्य किया। रही भारत में विभिन्न जातियों के राजा आपस में लड़ते रहे और सदियों तक भारत गुलाम बना रहा।धन्यवाद।

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विप्र सुदामा - 40

  लेखक एवं रचनाकार : अशर्फी लाल मिश्र, अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) नाथ  प्रभु  कृपा जब होये, क्षण में  छप्पर महल होये।  प्...