सोमवार, 20 दिसंबर 2021

नीति के दोहे मुक्तक

 द्वारा: अशर्फी लाल मिश्र

अशर्फी लाल मिश्र 




  


                    दोहा 

अपने रिश्ते हैं वही , दुःख में आयें काम।  

 भूलहु  रिश्ते खून के,यदि होयें  बेकाम।। 


कवि:अशर्फी लाल मिश्र,अकबरपुर, कानपुर।

2 टिप्‍पणियां:

विप्र सुदामा - 56

  लेखक : अशर्फी लाल मिश्र अकबरपुर, कानपुर। अशर्फी लाल मिश्र (1943-----) भामा मुख  से जब  सूना, दर्शन  करना हो वीतरागी। या तीर्थयात्रा पर हो ...